तिथि: 21 जून 2025 | विषय: “स्व और समाज के लिए योग”
योग दिवस एक वैश्विक जागरण का पर्व
हर वर्ष 21 जून को पूरा विश्व एक साथ श्वास लेता है, आत्मचिंतन करता है और योग के माध्यम से भीतर झाँकता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि यह याद दिलाने का दिन है कि संतुलन, शांति और स्वास्थ्य – हमारे भीतर ही छिपे हैं।
भारत द्वारा प्रस्तावित और संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2014 में मान्यता प्राप्त यह दिवस आज पूरी दुनिया को जोड़ने वाला एक आध्यात्मिक सेतु बन गया है।
21 जून क्यों? इसका आध्यात्मिक रहस्य
21 जून को चुनने के पीछे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों कारण हैं। यह दिन ग्रीष्म संक्रांति का होता है — जब दिन सबसे लंबा और ऊर्जा सबसे प्रबल होती है। प्राचीन ऋषियों ने इस दिन को आत्म-जागृति के लिए उपयुक्त माना और योग साधना से इसे जोड़ा।
योग का वास्तविक अर्थ
आज के तेज़ी से भागते युग में योग हमें रुकना सिखाता है। जब हम केवल लक्ष्य की दौड़ में लगे हों, योग हमें छोड़ना सिखाता है। योग कोई व्यायाम मात्र नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन है। “योग” शब्द संस्कृत के “युज्” धातु से बना है, जिसका अर्थ है — जोड़ना।
यह शरीर और मन, आत्मा और परमात्मा के मिलन की प्रक्रिया है। हर श्वास, हर आसन, हर ध्यान एक साधना है — जो हमें हमारे भीतर के शांत और जाग्रत स्वरूप से मिलवाता है।
योग और सनातन संस्कृति: अनादि परंपरा
योग कोई नया ट्रेंड नहीं, बल्कि हिमालय की गुफाओं और वैदिक ऋचाओं से निकली अमूल्य विरासत है। शिव को ‘आदियोगी’ कहा जाता है — जिन्होंने योग की प्रथम दीक्षा दी। पतंजलि ने इसे सूत्रों में बांधा। भगवद गीता में योग के कई रूपों का वर्णन है — कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग और राज योग।
हिन्दू परंपरा में योग सिर्फ शारीरिक आरोग्यता नहीं देता, यह आत्मा को शुद्ध करता है, चित्त को नियंत्रित करता है और मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है।
चटाई से चेतना तक: एक आंतरिक यात्रा
इस योग दिवस पर सिर्फ शरीर को खींचने या मोड़ने का नहीं, बल्कि भीतर की यात्रा करने का दिन है। एक पल ठहरकर स्वयं से पूछो — मैं कहां भाग रहा हूं और क्यों?
योग को दर्पण बनाओ — जो तुम्हें तुम्हारा असली रूप दिखाए। न तनाव, न नाम, न पहचान — सिर्फ चेतना। वही चेतना, जिससे ऋषियों ने वेदों की रचना की, वही ऊर्जा जिससे विश्व का कल्याण होता है।
भीतर की ओर लौटो
Antarj.com का मानना है कि योग कोई क्रिया नहीं — वह स्मृति है। योग कोई बाहर की चीज़ नहीं — वह आपकी सांस, आपकी मौनता, आपकी आत्मा है।
तो आज सिर्फ चटाई मत बिछाओ — अपने भीतर की अशांति पर भी चटाई बिछाओ। ध्यान को चुनो। आत्मा को सुनो। योग को जीयो।
“योग आत्मा की आत्मा के माध्यम से आत्मा तक यात्रा है।” — श्रीमद्भगवद्गीता
Antarj की ओर से आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं।