हर कोई सोचता है कि वो खुद को जानता है। पर क्या आपने कभी अपने भीतर झाँकने की हिम्मत की है? चलें, खुद से कुछ सच्चे सवाल पूछें।
क्या वह असफलता है, अकेलापन या अस्वीकार? डर वही है जो आपको अपने सच से दूर करता है।
क्या ये मेरे दिल की आवाज़ है या समाज की अपेक्षा? जो भी जवाब हो—ईमानदारी से सुनिए।
आपका असली रूप वो है, जो आप अकेले में होते हैं। उसी में आत्म-शक्ति का बीज छिपा है।
हमारा मन दिनभर बात करता है। पर क्या हम उसे सुनते भी हैं?
खुद से बात करना आत्मा से जुड़ना है। यहीं से आत्म-शक्ति की शुरुआत होती है।
इन सवालों के जवाब सिर्फ बाहर नहीं, भीतर हैं। हर दिन खुद से 5 मिनट बात कीजिए। आत्म-शक्ति एक खोज है, जो आपसे ही शुरू होती है।
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