देवी माँ, जिन्हें शक्ति और सृजन की अधिष्ठात्री माना जाता है, की पूजा नवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर बड़े श्रद्धा भाव से की जाती है। श्री दुर्गा सप्तशती में देवी की महिमा और उनके विभिन्न रूपों का विस्तार से वर्णन किया गया है। यहाँ कुछ प्रमुख मंत्र, श्लोक और आरती दी जा रही है, जो विशेष रूप से देवी माँ की उपासना में सहायक हैं।
१ . दुर्गा सप्तशती से दुर्गा कवच मंत्र
यह मंत्र हमें देवी माँ की सुरक्षा प्राप्त करने में सहायता करता है। यह अत्यंत प्रभावशाली और पवित्र माना जाता है।
ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्य दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता॥
इसका अर्थ है: “हे माँ दुर्गा! जब भी कोई आपको याद करता है, तो आप सभी प्रकार के भय और दुखों को दूर करती हैं। आप भौतिक और मानसिक शांति प्रदान करती हैं और सभी कठिनाइयों को हर लेती हैं।“
२ . दुर्गा सप्तशती के बीज मंत्र
बीज मंत्र देवी माँ के आह्वान और शक्ति की प्रतीक होते हैं। इन मंत्रों का उच्चारण हमारे भीतर शक्ति और साहस का संचार करता है:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥
इस बीज मंत्र का जप देवी माँ की अनुकंपा प्राप्त करने और अपने भीतर के भय को दूर करने में सहायक होता है।
३ . श्री दुर्गा सप्तशती के प्रमुख श्लोक
यह श्लोक देवी माँ की अद्भुत शक्ति और उनके करुणा स्वरूप का वर्णन करता है। इसका पाठ विशेष रूप से संकटों से मुक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है:
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
इसका अर्थ है: “जो देवी सभी प्राणियों में शक्ति रूप में निवास करती हैं, उन देवी को बार-बार प्रणाम।”
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
इसका अर्थ है: “जो देवी सभी प्राणियों में बुद्धि के रूप में विद्यमान हैं, उन देवी को बार-बार प्रणाम।“
५ . देवी कवच
दुर्गा सप्तशती का एक महत्वपूर्ण भाग है देवी कवच। इसका पाठ व्यक्ति की रक्षा और विपत्तियों से मुक्ति के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
ॐ कराल वदने! खड्गं, त्रिशूलं चापिनं शुभम्।
विमर्दय दानवानां सर्वशत्रु विनाशिनि॥
इसका अर्थ है: “हे माँ दुर्गा! आप अपने खड्ग, त्रिशूल और धनुष से सभी दुष्टों का विनाश करती हैं। आप हमारी रक्षा करें।”
६ . सर्वमंगल मांगल्ये श्लोक
यह श्लोक देवी माँ की कृपा से जीवन में शुभता, समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति का आह्वान करता है:
सर्वमङ्गल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥ अर्थ: "हे माँ! जो सभी मंगलों की अधिष्ठात्री हैं, सब प्रकार से कल्याणकारी हैं, त्रिपुण्डधारिणी शिवा के रूप में विद्यमान हैं, आप सभी दुखों और संकटों से रक्षा करती हैं।"
७ . जयंती मंगला काली श्लोक
यह श्लोक माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों का गुणगान करता है और संकटों को हरने वाला माना जाता है:
जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥
अर्थ: “जो देवी जयंती (विजय प्रदान करने वाली), मंगला (मंगलदायिनी), काली (समय की शक्ति), भद्रकाली (कल्याणकारी), कपालिनी (सृजन और संहार करने वाली) हैं, उन्हें प्रणाम है। जो क्षमा, शिवा (कल्याणकारी), धात्री (पालनकर्ता), स्वाहा और स्वधा के रूप में विद्यमान हैं, उन्हें नमन।”
८ . कात्यायनी मंत्र
यह मंत्र माँ कात्यायनी की आराधना के लिए है, जो दुर्गा के रूपों में एक हैं। यह मंत्र विशेष रूप से विवाह और मनोकामना पूर्ति के लिए जप किया जाता है. ज्योतिष के मुताबिक, अविवाहित लड़कियों को शीघ्र विवाह के लिए मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए. कहा जाता है कि इस मंत्र का निष्ठा से जाप करने से मनचाहा वर मिलता है.
ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥
अर्थ: “हे कात्यायनी माँ! आप महान योगिनी और शक्तियों की स्वामिनी हैं। नन्द के पुत्र श्रीकृष्ण को मेरे पति रूप में स्वीकार करें।“
९ . दुर्गा सप्तशती अर्गला स्तोत्र
यह स्तोत्र श्री दुर्गा सप्तशती का एक प्रमुख भाग है और माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है:
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरी।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्द्वैरि विनाशनम्॥
अर्थ: “हे माँ! आप सभी त्रिलोकों की अधिष्ठात्री हैं, कृपया हमारे सभी शत्रुओं का विनाश करें और सभी बाधाओं को दूर करें।”
१० . देवी गायत्री मंत्र
यह देवी माँ का गायत्री मंत्र है, जो भक्तों को आंतरिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए जप करना चाहिए:
ॐ कात्यायनाय विद्महे कन्यकुमारि धीमहि।
तन्नो दुर्गि प्रचोदयात्॥
अर्थ: “हम माँ कात्यायनी को जानते हैं और उनकी आराधना करते हैं। वह हमें जीवन की सही दिशा दिखाएं।”
११ . आरती: जय अम्बे गौरी
देवी माँ की आरती का पाठ उनके महात्म्य को श्रद्धा से प्रकट करता है और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त करने का सरल मार्ग प्रदान करता है। माँ जगदम्बा की यह आरती उनके भक्तों के ह्रदय में भक्ति और शक्ति का संचार करती है और उन्हें हर संकट से उबारने का आशीर्वाद प्रदान करती है।
देवी माँ की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दो नैना, चंद्रवदन नीको॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ब्रहमाणी रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम-निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरव।
बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरु॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रिमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
श्री अंबेजी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपत्ति पावे॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
Devi Maa ki Aarti
Jai Ambe Gauri, Maiya Jai Shyama Gauri।
Tumko nishdin dhyaavat, Hari Brahma Shivri॥
Maang sindoor virajat, teeko mrigmad ko।
Ujjwal se do naina, chandravadan niko॥
Kanak samaan kalevar, raktambar raje।
Raktpushp gal maala, kanthan par saje॥
Kehri vaahan rajat, khadg khappar dhaari।
Sur nar muni jan sevat, tinke dukhhaari॥
Kanan kundal shobhit, nasagre moti।
Kotik chandra divakar, sam rajat jyoti॥
Shumbh-Nishumbh bidare, Mahishasur ghaati।
Dhoomra vilochan naina, nishdin madmaati॥
Chand-Mund sanhare, Shonit beej hare।
Madhu Kaitabh dou maare, sur bhayheen kare॥
Brahmaani Rudraani, tum Kamala raani।
Aagam-Nigam bakhaani, tum Shiv patraani॥
Chaunsath Yogini gaavat, Nritya karat Bhairav।
Bajat taal mridanga, aur bajat damaru॥
Tum hi jag ki mata, tum hi ho bharta।
Bhaktan ki dukh hartaa, sukh sampatti karta॥
Bhuja chaar ati shobhit, var-mudra dhaari।
Manvanchhit phal paavat, sevat nar-naari॥
Kanchan thaal virajat, agar kapoor baati।
Shrimaal ketu mein rajat, koti ratan jyoti॥
Shri Ambeji ki aarti, jo koi nar gaave।
Kahat Shivanand Swami, sukh-sampatti paave॥
Jai Ambe Gauri, Maiya Jai Shyama Gauri।
Tumko nishdin dhyaavat, Hari Brahma Shivri॥
इस प्रकार देवी माँ की पूजा में इन मंत्रों, श्लोकों और आरती का बड़ा महत्व है। भक्तजन इनका श्रद्धा से जप कर माँ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पा सकते हैं।